KALYAN MATKA
एक दिन रमेश के एक दोस्त ने उसे सट्टेबाजी के बारे में बताया। उसने कहा कि अगर किस्मत साथ दे तो इस खेल में बहुत पैसा कमाया जा सकता है। रमेश ने पहले तो संकोच किया, लेकिन फिर उसने सोचा कि एक बार कोशिश करने में कोई बुराई नहीं है।
रमेश ने अपना पहला दांव लगाया और संयोग से जीत गया। उसने थोड़ा-बहुत पैसा लगाया था, लेकिन उसे दुगुना वापस मिल गया। यह देखकर रमेश बहुत खुश हुआ और उसे लगा कि उसकी किस्मत ने उसका साथ दिया है। उसने अगले दिन फिर से दांव लगाया और इस बार भी जीत गया। अब रमेश को यकीन हो गया था कि वह सट्टेबाजी के माध्यम से अमीर बन सकता है।
रोज-रोज जीतने के बाद, रमेश ने अपनी सारी जमापूंजी सट्टेबाजी में लगा दी। कुछ दिनों तक उसकी किस्मत ने उसका साथ दिया और उसने बहुत सारा पैसा कमा लिया। रमेश अब अपने गाँव में सबसे अमीर व्यक्ति बन गया था। उसने बड़ी-बड़ी गाड़ियाँ खरीदीं, एक बड़ा घर बनवाया और गाँव वालों के बीच उसका मान-सम्मान बढ़ गया।
इस अनुभव ने रमेश को एक महत्वपूर्ण सीख दी। उसने समझा कि सट्टेबाजी में जो पैसा आता है, वह बहुत अस्थायी होता है। मेहनत और ईमानदारी से कमाया गया पैसा ही स्थायी होता है। उसने फिर से अपनी नौकरी शुरू की और मेहनत से काम करने लगा। अब वह अपने अनुभव से दूसरों को भी सट्टेबाजी से दूर रहने की सलाह देता है।
रमेश की कहानी हमें यह सिखाती है कि जल्दी अमीर बनने के लालच में हमें अपना सब कुछ दांव पर नहीं लगाना चाहिए। मेहनत और ईमानदारी से कमाया गया धन ही हमारे जीवन को सही मायने में संवारता है।
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