यह कहानी एक महिला, सविता की है
जो एक छोटे से कस्बे में रहती थी। सविता बहुत ही सुंदर और आकर्षक थी, लेकिन उसमें एक कमी थी - वह पैसों की बहुत लालची थी। उसे हमेशा यह लगता था कि अगर उसके पास बहुत सारा पैसा होगा तो वह खुशहाल जिंदगी जी सकेगी।
सविता की शादी अरुण नामक एक साधारण व्यक्ति से हुई थी, जो एक छोटी सी नौकरी करता था। अरुण मेहनती और ईमानदार था, लेकिन उसकी आमदनी ज्यादा नहीं थी। सविता को यह बात हमेशा खटकती थी कि अरुण उसे वह सब नहीं दे पाता जो वह चाहती थी।
एक दिन, सविता की मुलाकात राजेश से हुई, जो एक बहुत अमीर बिजनेसमैन था। राजेश ने सविता की सुंदरता से प्रभावित होकर उसे महंगे उपहार देने शुरू कर दिए। सविता को यह बहुत अच्छा लगा और उसने राजेश के साथ समय बिताना शुरू कर दिया। राजेश ने सविता से कहा कि अगर वह अरुण को छोड़कर उसके पास आ जाए, तो वह उसे दुनिया की हर खुशी देगा।
पैसों की लालच में आकर, सविता ने अपने पति अरुण को छोड़ने का फैसला कर लिया। उसने अरुण से तलाक ले लिया और राजेश के साथ रहने लगी। शुरुआत में राजेश ने सविता को बहुत खुश रखा। उसने उसे महंगे कपड़े, गहने और एक बड़ी कोठी दिलाई। सविता को लगा कि अब उसकी जिंदगी सफल हो गई है।
लेकिन समय के साथ, राजेश का व्यवहार बदलने लगा। वह सविता को समय नहीं देने लगा और उसका ध्यान भी कम हो गया। सविता ने देखा कि राजेश का स्वभाव बहुत कठोर और क्रूर है। वह सविता को अक्सर ताने मारता और उसका अपमान करता था। सविता को अहसास हुआ कि उसने पैसों के लिए अपनी खुशहाल जिंदगी को बर्बाद कर लिया है।
एक दिन, सविता ने राजेश को किसी और महिला के साथ देखा। उसे समझ में आ गया कि राजेश कभी भी किसी एक महिला के प्रति वफादार नहीं रह सकता। सविता को बहुत पछतावा हुआ और उसने सोचा कि उसने अरुण जैसा ईमानदार और सच्चा जीवन साथी खो दिया।
सविता ने अरुण से माफी मांगने का निर्णय लिया और उससे मिलने गई। अरुण ने सविता की हालत देखी और उसकी माफी स्वीकार कर ली। उन्होंने फिर से अपनी जिंदगी को नए सिरे से शुरू करने का फैसला किया। सविता ने अब पैसों की बजाय प्यार और ईमानदारी को महत्व देना सीखा।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि पैसों की लालच हमें असली खुशियों से दूर कर देती है। सच्चा प्यार, ईमानदारी और समर्पण ही हमारे जीवन को सही मायने में सफल और खुशहाल बना सकते हैं।